उसी असुर ने छकड़े में आविष्ट होकर कृष्ण को पीस डालना चाहा, किन्तु भगवान कृष्ण के श्रीचरणकमलों के स्पर्श से मुक्त हो गया।
6.
यही नही राजा का तो यह कर्त्तव्य भी है कि जब शत्रु दुर्बल हो जब हम पर आक्रमण करने की उसमें सामर्थ्य न हो तभी उस म्लेच्छ शत्रु पर आक्रमण करके उसे पीस डालना चाहिए।
7.
यदि ब्राह्मण समाज में बहुसंख्य लोग निरक्षर तथा दुराचारी हो जाएँ तो भी वह जाति दूषित नहीं हो सकती, किंतु उस समाज में जो ही दो-चार विद्वान सदाचारी हों उनका तो सत्कार करना ही चाहिए, जौ के साथ घुन की तरह अन्यान्य पतितों तथा मूर्खों के साथ उन्हें भी पीस डालना उचित नहीं है।